Hello Aspirants, Jharkhand GS/GK की इस Series में Santhal Pargana- History और Santhal Revolt / Santhal Rebellion – संथाल विद्रोह के बारे में विस्तार से बताएँगे।
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Santhal Revolt – संथाल विद्रोह (1855-1856)
History of Santhal Pargana
अकबर काल (1526 – 1605)
इस कारण संथाल इस वक़्त तक मुग़लों के प्रभाव से बचा रहा। हालाँकि शेर खान का संथाल पर अधिकार ज्यादा दिनों तक नहीं रहा।
जहांगीर काल (1605 – 1627)
वर्ष 1622 में जहांगीर का पुत्र ख़ुर्रम (शाहजहां) ने नूरजहाँ के राजनैतिक हस्तक्षेप के कारण विद्रोह कर दिया और वह राजमहल पहुंच गया।
राजमहल में उसका मुग़ल सूबेदार इब्राहिम से युद्ध हुआ। बाद में अपने पिता जहांगीर से समझौता हो जाने के कारण वह वापस चला गया। इस तरह संथाल पर पहली बार किसी मुग़ल का आगमन हुआ।
शाहजहां (1628 – 1658)
औरंज़ेब (1658 – 1707)
राजधानी परिवर्तन हो जाने के कारण राजमहल क्षेत्र पर किसी का नियंत्रण नहीं रहा। इसका फायदा मिदनापुर (बंगाल) का शासक शोभा सिंह और ओडिशा का अफ़ग़ान शासक रहीम खान ने उठाया।
इन्होने राजमहल को लूटा और यहाँ व्यापक स्तर पर अराजकता फ़ैल गयी। बाद में मुग़लों ने राजमहल को इनके चंगुल से छुड़ाया पर प्रत्यक्ष रूप से संथाल पर मुग़लों का अधिपत्य कभी स्थपित नहीं हुआ।
उत्तर मुग़ल काल (1707 – 1767)
इस काल खंड में संथाल परगना में कई गतिविधियां हुई। औरंज़ेब के बाद मुग़ल गद्दी पर बहादुर शाह I बैठा। उसने फ़र्रुख़सियर को राजमहल का किला बंदी करने भेजा। वर्ष 1743 में मराठा रघुजी भोंसले बंगाल जाने का क्रम में इस क्षेत्र का इस्तेमाल किया।
- वर्ष 1757 में बंगाल का विद्रोही नवाब सिराज-उद -दौला राजमहल में पकड़ा गया।
अंग्रेज काल (1767 – 1947)
वर्ष 1763 में कंपनी ने बंगाल सूबा के नवाब मीर क़ासिम के खिलाफ राजमहल में एक सैन्य अभियान चलाया जिसमे कंपनी के जीत हुई। इस तरह संथाल पर अंग्रेजों की हुकूमत स्थपित हुई।
Santhal Revolt – संथाल विद्रोह
“हुल” शब्द का अर्थ होता है – विद्रोह/बगावत। इस तरह संथालों द्वारा किया गया विद्रोह हो संथाल हुल- Santhal Revolt/Santhal Rebellion कहा गया है ।
- क्षेत्र – राजमहल।
- प्रमुख नेता – सिद्धु -कान्हु , चाँद , भैरव।
- दमनकर्ता – कैप्टेन अलैक्सैंडर।
Reasons for Santhal Revolt – संथाल विद्रोह का कारण
यह विद्रोह अंग्रेजों के साथ साथ संथाल क्षेत्र के ज़मींदारों और साहूकारों के खिलाफ था क्यूंकि संथालों पर अत्याचार के लिए यही तीनो की प्रमुख भागीदारी थी ।
- ज़मींदारी – अंग्रेजों ने संथालों की ज़मीन को Indian Forest Act, 1865 के तहत अपने अधीनस्त सभी जंगलों पर नियंत्रण स्थापित कर लिया था
- सूदख़ोर महाजन – सूदखोर महाजन संथालों को ऋण देने का काम किया करते थे , पर बदले में काफी ज्यादा ब्याज वसूलते थे।
- न्यायालयों से निराशा – संथालों/आदिवासियों को न्यायायिक परिक्रियाओं की समझ नहीं होने कारण न्यायालयों में इनके साथ भेदभाव किया जाता था और इन्हें न्याय के अधिकार से हमेशा वंचित रखा गया था।
The Revolt begins – विद्रोह की शरुवात
ब्रिटिश सरकार द्वारा भागलपुर से वर्दवान के बीच रेलवे लाइन और एक स्थानीय साहूकार द्वारा जबरन चोरी के आरोप लगाना इस विद्रोह में चिंगारी का काम कर दिया।
- संथालों ने मुर्मू बंधु – सिद्धु -कान्हु , चाँद और भैरव के नेतृत्व में 1855 ई. को विद्रोह कर दिया।
पर यह विद्रोह सिर्फ संथालों का ही नहीं बल्कि समाज के अन्य वर्गों और महिलाओं ने भी इसमें बड़-चढ़ कर अपना योगदान दिया था। मुर्मू बंधुओं ने इसमें अपनी नेत्तृव का परिचय दिया और इसे एक सुसंगठित विद्रोह बनाया।
- विद्रोह का मुख्य केंद्र बरहैत को बनाया गया।
Santhal Revolt के प्रमुख उद्देश्य
- दिकुओं को मार भगाना ,
- विदेशी राज ख़त्म करना ,
- “आबुआ राज ” (न्याय और धर्म का अपना राज्य) स्थापित करना।
सिद्धु और कान्हु के नेतृव में संथालों ने व्यापक विद्रोह किया। संथाल विद्रोह बिहार के भागलपुर से लेकर बंगाल का वर्धमान तक फ़ैल गया। इतना बड़ा और व्यापक विद्रोह अंग्रेजों ने पुरे भारत वर्ष में कहीं नहीं देखा था ।
इसी कारण कार्ल मार्क्स ने इसे “भारत की प्रथम जनक्रांति” कहा है। जबकि मुले ने इसे मुठभेड़ की संज्ञा दी है।
Santhal Revolt/विद्रोह का दमन
विद्रोह को दबाने के लिए ब्रिटिश सरकार ने कैप्टेन बर्रोह के नेत्तृव में सेना की टुकड़ी भेजी। सेना और संथालों के मध्य पीरपैंती में आमना-सामना होती है, जहाँ संथाल विद्रोहियों ने सेना को मार भगाया।
जबाब में ब्रिटिश सर्कार ने Marshal Law लागु कर दिया और विद्रोह को दबाने के लिए कैप्टेन कैप्टेन अलैक्सैंडर, लेफ्टिनेंट थॉमसन और लेफ्टिनेंट रीड को भेजा।
सरकार ने विद्रोही नेताओं को पकड़ने के लिए इनाम भी घोषित कर रखा था।जल्द ही विद्रोही नेता सिद्धु को पकड़ लिया गया और 5 दिसंबर 1855 को फांसी दे दिया गया ।
अन्य नेता चाँद और भैरव को एक मुठभेड़ में मार दिया गया और कान्हु को उसके अपने गांव ठाकुरबाड़ी (भगनीदीह) में फांसी दे दिया गया।
Santhal Revolt के परिणाम
प्रशासनिक बदलाव – ब्रिटिश सरकार ने प्रशासनिक स्तर पर व्यापक बदलाव किये जैसे –
- Non-Regulating Area (निषिद्ध क्षेत्र )- सरकार ने इस क्षेत्र को बाहरियों के प्रवेश पर रोक लगा दिया पर ईसाई मिशनरियों को इसमें छूट दी गयी।
- Santhal Pargana Tenency Act , (SPT Act) 1860 – इस Act के तहत संथालों और अन्य स्थानीय लोगों को उनकी ज़मीन पर मालिकाना अधिकार पुनः बहाल किया गया।
- “दामन-ए-कोह” का नाम (1855 का Act 37) के अनुसार बदल कर संथाल परगना कर दिया गया।
- 1857 के Act 10 के अनुसार संथाल परगना में चार नए उप-ज़िला- देवघर, दुमका, गोड्डा और राजमहल बनाये गए और संथाल परगने की नयी सीमा निर्धारित कर इस क्षेत्र को छोटा कर दिया गया,
- साथ ही यहाँ के लोगों के सुरक्षा और विकाश के लिए कमिशनर भी नियुक्त कर दिया गया।
पर जिस तरह इस सुसंगठित विद्रोह को अंग्रेजों ने कुचल दिया था इसका दर्द संथाल कभी भूले नहीं थे और वर्ष 1871 और फिर 1881 में संथालों ने इसका बदला लेने के लिए पुनः विद्रोह कर दिया।
हालाँकि अंग्रेज हुकूमत की नींद अभी पूरी तरह उड़नी बाकी थी क्यूंकि संथाल विद्रोह 1857 की क्रांति से ठीक पहले हुई थी इस तरह कहा जा सकता है कि 1857 की क्रांति भड़काने में संथाल विद्रोह ने भी प्रमुख योगदान दिया था।
Dear Aspirants, Jharkhand GS की इस Series में हमने Santhal Revolt – संथाल विद्रोह (संथाल हुल) के बारे में Discuss किया। यह GS/GK Series आपको Jharkhand में होने वाले सभी Sarkari Naukri Exams में आपकी मद्दद करेगा।