Jharkhand Bhumij Revolt (1832 – 33)
Hello Aspirants, Jharkhand GK in Hindi की इस Series में हम Jharkhand Samanya Gyan से सम्बंधित एक और महत्वपूर्ण Topic – Bhumij Revolt लेकर आये हैं।
झारखण्ड के History में जनजातीय विद्रोह प्रमुख स्थान रखते हैं। यह जनजातीय विद्रोह अंग्रेजों द्वारा किये गए आदिवासियों पर अत्याचार का प्रतिशोध था।
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image source – parliament museum |
Bhumij Revolt (1832 – 33)
भूमिज विद्रोह को गंगा नारायण विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है।
- क्षेत्र – बड़ाभूम (वीरभूम )
- नेता – गंगा नारायण।
- दमनकर्ता – डेन्ट , विल्किंसन।
Bhumij Revolt – कारण
बड़ाभूम के राजा बेलाक नारायण की मृत्यु के बाद उनके पुत्र – लक्ष्मण सिंह और रघुनाथ सिंह के बीच उत्तराधिकारी को लेकर विवाद शुरू हो जाता हैं।
जनजातीय परंपरा के अनुसार लक्ष्मण सिंह बड़ाभूम के राजगद्दी के सही हकदार थे क्यूंकि वे बड़ी रानी के पुत्र थे।
पर कंपनी कानून के अनुसार रघुनाथ सिंह को राजगद्दी मिलनी चाहिए क्यूंकि वे उम्र में लक्ष्मण सिंह से बड़े थे।
कम्पनी ने रघुनाथ सिंह का समर्थन किया और उसे राजगद्दी पर बैठाया और लक्ष्मण सिंह को कम्पनी ने मिदनापुर जेल में कैद कर दिया जहाँ उसकी मृत्यु हो जाती है।
1798 में एक बार पुनः राजगद्दी को लेकर विवाद पैदा हो जाती है जब राजा रघुनाथ सिंह की मृत्यु हो जाती है।
➧ उनके दो पुत्र – गंगा गोविन्द सिंह और माधव सिंह के बीच उत्तराधिकारी को लेकर विवाद हो जाती है।
कंपनी कानून के अनुसार गंगा गोविन्द सिंह को गद्दी मिलती है और माधव सिंह को दीवान बनाया जाता है। गंगा नारायण (लक्ष्मण सिंह का पुत्र ) ने भी गंगा गोविन्द सिंह का ही पक्ष लिया था जिस कारण माधव सिंह से इनकी दुश्मनी शुरू हो जाती है।
दीवान बनते ही माधव सिंह ने गंगा नारायण को परेशां करना शुरू कर दिया। इसने गंगा नारायण को जागीर में मिली ज़मीन “खोर – पोश ” छीन ली और मालगुज़ारी में मिलने वाली खर्च को भी बंद कर दिया।
गंगा नारायण ने कंपनी से फ़रियाद लगाया पर बात नहीं बनी। गंगा नारायण कंपनी से पहले से भी रुष्ट था क्यूंकि कंपनी के कारण ही उसके पिता लक्ष्मण सिंह की मृत्यु हुई थी।
इस कारण गंगा नारायण ने माधव सिंह और कंपनी की खिलाफ विद्रोह कर दिया और अपनी शक्ति अर्जित करने में जुट गया।
उसने अपने आस-पास के राजपरिवारों के साथ वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किया। साथ ही भूमिज आदिवासी सरदारों और घटवालों को भी अपने पक्ष में कर लिया जो खुद भी माधव सिंह द्वारा लगाए गए कर से परेशान थे।
Bhumij Revolt का आरम्भ
गंगा नारायण भूमिज और घटवाल लड़ाकों को मिला कर एक मजबूत सेना तैयार कर माधव सिंह की निर्मम हत्या कर दी। और पुरे राज्य में लूट-पाट मचाना शुरू कर दिया।
उसने सरकारी सम्पति को भी नहीं बख्शा और कंपनी की एक सेना की टुकड़ी पर हमला बोल दिया। भयाक्रान्त बड़ाभूम नरेश गंगा गोविन्द सिंह ने “खोर-पोश “ गंगा नारायण को वापस कर दिया।
गंगा नारायण यह शर्त मन गया और खरसावां पर हमला कर दिया पर वह इस युद्ध में मारा गया और इस तरह भूमिज विद्रोह का अंत भी हो गया।
Bhumij Revolt – परिणाम
Dear Aspirants, Jharkhand general knowledge in Hindi Series में हमने Tribal Uprising- part 2 – Bhumij Revolt के बारे में पढ़ा।
Part 3 में हम एक और महत्वपूर्ण जनजातीय विद्रोह – संथाल हुल – संथाल विद्रोह के बारे में पढ़ेंगे जो JPSC और JSSC CGL के लिए Important हैं।