Hello Aspirants, BIOLOGY-BIO in Hindi / Biology NCERT series में, हम “Classification of the organism in Hindi” – जीवधारियों का वर्गीकरण Biology in Hindi के एक महत्वपूर्ण अध्याय पर चर्चा करने जा रहे हैं
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Classification of the Organism in Hindi – Intro
जीव विज्ञान एक प्राकृतिक विज्ञान है जो जीवन और जीवित जीवों, अर्थात् पौधों और जानवरों के अध्ययन से संबंधित है। पौधों के अध्ययन को “वनस्पति विज्ञान” कहा जाता है और जानवरों के अध्ययन को “जूलॉजी” कहा जाता है।
जूलॉजी और बॉटनी को सामूहिक रूप से (Classification of the Organism in Hindi) “बायोलॉजी” कहा जाता है।
- बायोलॉजी शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1802 ई. में लैमार्क (फ्रांस) और ट्रेविरेनस (जर्मन) नामक वैज्ञानिकों ने किया था।
- पौधों और जानवरों के जीवन के बारे में पहली बार अपने विचार देने वाले वैज्ञानिक अरस्तू थे। इसलिए उन्हें जीव विज्ञान के पिता के रूप में जाना जाता है। उन्हें जूलॉजी के पिता के रूप में भी जाना जाता है।
थियोफ्रेस्टस को वनस्पति विज्ञान के पिता के रूप में जाना जाता है।
जीव विज्ञान की प्रमुख शाखाओं के जनक
Classification of the organism in Hindi
शाखा | जनक |
वनस्पति विज्ञान | थियोफ्रेस्टस |
जन्तु विज्ञान | अरस्तू |
जीव विज्ञान | अरस्तू |
वर्गिकी | लीनियस |
आनुवांशिकी | ग्रेगर मेंडल |
जीवाश्मिकी | लियोनार्डो डी विन्सी |
सूक्ष्म जीव विज्ञान | लुई पाश्चर |
आधुनिक भ्रूण विज्ञान | वॉन बेयर |
जीवाणु विज्ञान | ल्यूवेनहॉक |
कवक विज्ञान | माइकेली |
प्रतिरक्षा विज्ञान | एडवर्ड जेनर |
कोशिका विज्ञान | राबर्ट हुक |
भारतीय पारिस्थितिकी | आर. मिश्रा |
भारतीय ब्रायोलॉजी | आर.एस. कश्यप |
भारतीय शैवाल विज्ञान | एम.ओ.ए. आयंगर |
चिकित्सा शास्त्र | हिप्पोक्रेट्स |
Classification of the organism in Hindi – जीवधारियों का वर्गीकरण
जीव विज्ञान के भाग : इसके दो प्रमुख भाग हैं – जन्तु विज्ञान और वनस्पति विज्ञान।
जीवविज्ञानियों ने जीवों को उनके गुणों, जनन, स्वभाव, भोज्य स्वभाव आदि के आधार पर बाँटा है। चूंकि यह वर्गीकरण जैविक लक्षणों के आधार पर किया गया है, इसे जैविक वर्गीकरण भी कहा जाता है।
स्वीडिश वैज्ञानिक कैरोलस लीनियस ने अपनी किताब सिस्टेमा नैचुरे में वर्गीकरण की व्यवस्था तैयार किया और साथ ही उन्होंने 1758 में द्विपद नामपद्धति (Binomial nomenclature) की सामने रखी।
Binomial nomenclature (द्विपद नामपद्धति): इसकी संकल्पना एक स्वीडिश वैज्ञानिक कैरोलस लीनियस ने किया था। इस पद्धति के अनुसार प्रत्येक जीव के नाम में दो शब्द होते हैं-
- पहला शब्द है वंश (Generic), जो उसके संबंधित रूपों से साझा होता है, और
- दूसरा शब्द है – जाति पद (Species) । वंश नाम को अंग्रेजी के बड़े अक्षर तथा जाति का नाम अंग्रेजी के छोटे अक्षर से शुरू होता है,
- जैसे-मनुष्य के लिए (Homo sapiens) |
जीवों के वैज्ञानिक नाम
Scintific Names based on classification of the organism in Hindi
जीव | वैज्ञानिक नाम |
मनुष्य (Man) | Homo sapiens |
गाय (Cow) | Bos indicus |
बिल्ली (Cat) | Felis Domestica |
कुत्ता (Dog) | Canis Familiaris |
मेढ़क (Frog) | Rana Tigrina |
बाघ (Tiger) | Panthera tigris |
आम (Mango) | Mangifera indica |
गेहूँ (Wheat) | Triticum aestivum |
गुलाब (Rose) | Helianthemum Annus |
धान (Rice) | Oryza sativa |
आलू (Potato) | Solanum tuberosum |
गुड़हल (China rose) | Hibiscus Rosa Sinensis |
सरसों (Mustard) | Brassica Campestris |
इमली (Imli) | Tamarindus indica |
नीम (Neem) | Azadirachta indica |
Taxonomic Categories : सभी वर्गीकरणों में मूल इकाइयों का क्रमबद्ध वर्ग होता है। इसे टैक्सोनामिक कोटि कहा जाता है। सभी कोटियाँ एक साथ मिलकर टैक्सोनॉमिक पद्रानुक्रम बनाती हैं।
जीवधारियों का पाँच जगत वर्गीकरण
Five Kingdom Classification of the Organisms in Hindi
वर्ष 1969 में विटकर (Whittaker) ने द्धि-किगंडम वर्गीकरण के स्थान पर पाँच किंगडम (जगत) वर्गीकरण प्रस्तावित किया। विटकर के पाँच जगत हैं-
मोनेरा (Monera), प्रोटिस्टा (Protista), कवक (Fungi), प्लांटी (Plantae) एवं एनीमेलिया (Animalia) |
1. मोनेरा (Monera): मोनेरा में सभी प्रौकरियोटी जीवों को रखा गया है जैसे बैक्टीरिया, एक्टिनोमाइसिटीज तथा प्रकाश संश्लेषी सायनौबेक्टीरिया।
इनमें केन्द्रक एवं अन्य झिल्लीयुक्त अंगक नहीं होते हैं, लेकिन अधिकांश मोनेरा के सदस्यों में कोशिका भित्ति कठोर होती है। उदाहरण – बैक्टीरिया, स्यानोबैक्टेरिया।
2. प्रोटिस्टा (Protista): इसमें ज्यादातर एककोशिकीय यूकैरियोट्स को रखा गया है। ये मुख्य रूप से स्वपोषी, प्रकाश संश्लेषी जीव होते हैं। प्रोटिस्टा में प्रायः फ्लैजिला एवं सीलिया पाए जाते है। उदाहरण – अमीबा, यूग्लीना, डायटम (Diatoms) आदि।
3. प्लान्टी (Plantae): इसमें सभी रंगीन, बहुकोशिकीय, प्रकाश संश्लेषी पौधे आते हैं। इस जगत में शैवाल, ब्रायोफाइट्स, टेरिडोफाइट्स, जिम्नोस्पर्म तथा एन्जियोस्पर्म (पुष्पीय पौधे ) को रखा गया है।
4. कवक (Fungi): ये यूकैरियोट्स, विषमपोषी होते है क्यूंकि इनमे chlorophyll का अभाव होता है। Fungi एककोशकीय (single – cell) और बहुकोशकीय (multi-cell) दोनों होते है।
- इनकी कोशिका भित्ति सेल्यूलोस की नहीं बल्कि काइटिन से बनी होती है। कुछ कवक सहजीवी के रूप में शैवाल से मिलकर लाइकेन बनाते हैं।
5. एनिमेलिया (Animalia): ये भी यूकैरियोट्स, विषमपोषी होते है। ये बहुकोशकीय (multi-cell) तो होते है पर इनकी कोशिकाओं मी कोशिकाभित्ति नहीं पायी जाती हैं।
इनमे पोषण प्राणिसमभोजी होता है। जैसे – Hydra, केंचुआ, तेलचट्टा, स्टारफिश, पक्षी, स्तनधारी, आदि जंतु शामिल हैं।
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