Hello Aspirants, Jharkhand Samanya Gyan/ Jharkhand GS की इस Series में Physical Geography of jharkhand /Jharkhand Geography in Hindi का परिचय और भूगर्भिक संरचना विस्तार से बताया जायेगा।
Jharkhand Geography in Hindi
झारखण्ड राज्य भारत के उत्तर-पूर्वी भाग में स्तिथ देश का 28वां राज्य है। झारखण्ड राज्य का गठन 15 November 2000 को बिहार राज्य से अलग कर बनाया गया था।
झारखण्ड क्षेत्रफल के हिसाब से देश का 15वां सबसे बड़ा राज्य है और जनसँख्या के अनुसार इसका स्थान 13वां है।
झारखण्ड की भूगर्भिक संरचना में आर्कियन कालीन चट्टान के साथ – साथ नवीनतम चतुर्थ कल्प काल के जलोढ़ निक्षेपण पाएं जाते हैं ।
छोटानागपुर पठार का झारखण्ड के धरातलीय स्वरुप के निर्माण में अहम् योगदान है साथ ही यह झारखण्ड का सबसे ऊँचा और बड़ा क्षेत्र भी है, जहाँ अनेक जलप्रपात का निर्माण भी होता है।
झारखण्ड की जलवायु उष्णकटिबंधीय मॉनसूनी (Tropical monsoon) है जिस कारण यहाँ की नदियाँ बरसाती हैं।
खनिज संसाधन की दष्टि से झारखण्ड राज्य भारत का सबसे अग्रणी राज्य है, इसलिए झारखण्ड की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार खनिज व उन पर आधारित उद्योग हैं। इस कारण झारखण्ड को ‘भारत का रूर प्रदेश’ कहा जाता है।
Jharkhand Geography in Hindi-Position and extent
SR. No. | Property | value/significance |
---|---|---|
01 | क्षेत्रफल | 79,714 वर्ग किमी |
02 | भारत के कुल क्षेत्रफल का हिस्सा | 2.42 % |
03 | भौगोलिक स्थिति | भारत के उत्तरपूर्वी भाग |
04 | क्षेत्रफल की दृष्टि से झारखण्ड का देश में स्थान | 15वां |
05 | अक्षांशीय विस्तार (Latitudinal extension) | 21°58’10” से 25°19’15” उत्तरी अक्षांश |
06 | देशान्तरीय विस्तार (Longitudinal extension) | 83°19’50″से 87°57′ पूर्वी देशान्तर, |
07 | चौडाई (पूर्व से पश्चिम) | 463 किमी |
08 | लम्बाई (उत्तर से दक्षिण) | 380 किमी |
09 | ग्रामीण क्षेत्रफल | 77,922 वर्ग किमी |
10 | शहरी क्षेत्रफल | 1,792 वर्ग किमी. |
11 | कुल वन भूमि | 23,478 वर्ग किमी. (29.45 %) |
12 | राज्य का आकार | चतुर्भुज |
Geographical boundaries

Direction | State |
---|---|
North | Bihar |
South | Odisha |
East | West Bengal |
West | Chhatisharh & UP |
Climate of Jharkhand
Sr.No. | Value | Significance |
---|---|---|
01 | जलवायु | उष्णकटिबंधीय मॉनसूनी |
02 | औसत वार्षिक वर्षा | 140 सेमी. |
03 | समुद्र तट से निकटतम दुरी | 90 km |
Jharkhand Geography in Hindi – भूगर्भिक संरचना
Dharwad System- Rocks
ये चट्टानें गर्म-पिघली हुई पृथ्वी के ठंडे होने के परिणामस्वरूप बनी हैं। ये सबसे पुरानी और प्राथमिक चट्टानें हैं।
आर्कियन प्रणाली की चट्टानें मुख्य रूप से कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, झारखंड के छोटानागपुर पठार और राजस्थान के दक्षिणी-पूर्वी भाग में पाई जाती हैं।
अरावली पर्वत श्रृंखला, जो दुनिया का सबसे पुराना गुना पर्वत (fold mountain) है, इन्हीं चट्टानों से बनी है।।
इस प्रणाली की चट्टानें आर्थिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण हैं। इन चट्टानों में सभी प्रमुख धातु खनिज (लोहा, सोना, मैंगनीज आदि) पाए जाते हैं।
यह चट्टानें झारखण्ड के दक्षिण-पूर्वी भाग जैसे, सिंघभूम , सरायकेला में पाएं जाते हैं। ये सबसे पुरानी तलछटी चट्टानें (Sedimentary rocks) हैं ।
Rocks of the Vindhyan System
ये नदी घाटियों और उथले महासागरों के गाद (River-silt ) के जमाव द्वारा बनी हैं । इस प्रकार, ये चट्टानें तलछटी चट्टानें (sedimentary rock) भी हैं। ये बलुआ पत्थर, चूना पत्थर और संगमरमर, अभ्रक के लिए प्रसिद्ध हैं।
ये चट्टानें विंध्य श्रेणी में पाई जाती हैं, जैसे- मालवा पठार, सोन घाटी, बुंदेलखंड आदि। यह चट्टानें झारखण्ड के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र जैसे गढ़वा, पलामू में पाएं जाते हैं।
Rocks of Gondwana System
गोंडवाना शब्द की उत्पत्ति मध्य प्रदेश के गोंड क्षेत्र से हुई है। भारत में 98% कोयला इसी संरचना में पाया जाता है। ये चट्टान कार्बोनिफेरस और जुरासिक काल के बीच बनी हैं।
कार्बोनिफेरस अवधि के दौरान प्रायद्वीपीय भारत में कई दरारें बन गईं। इन दरारों के बीच जमीन के डूबने के कारण उस काल की वनस्पतियाँ भी दफन हो गयी जिससे बाद में कोयला बना ।
यह कोयला अब मुख्य रूप से दामोदर, सोन, महानदी, गोदावरी आदि की नदी घाटियों में पाया जाता है। प्रायः समस्त उत्तरी झारखण्ड में इस श्रेणी की चट्टानें मिलती है।
Deccan Trap
प्रायद्वीपीय भारत में ज्वालामुखी विस्फोट मेसोज़ोइक युग में शुरू हुआ। इस प्रकार, दक्खन विस्फोट के परिणामस्वरूप डेक्कन ट्रैप का गठन हुआ ।
यह संरचना Besalt, Bauxite, Laterite और Dolrite चट्टानों से बनी है। ये चट्टानें बहुत कठोर हैं और इनके अपक्षय के कारण काली मिट्टी का निर्माण हुआ है।
यह संरचना भारत के अधिकांश हिस्सों जैसे महाराष्टृ , गुजरात, मध्य प्रदेश , झारखण्ड और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में पाई जाती है।
यह चट्टाने झारखण्ड के पाट क्षेत्र और उत्तर-पूर्वी भाग जैसे साहेबगंज (राजमहल ), पाकुड़ , गोड्डा जैसे क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
Alluvial Rocks
जलोढ़ निक्षेप– इस तरह की चट्टानें नदियों के किनारें, नदियों द्वारा ही बनाया जाता है। ये चट्टानें सिंधु और गंगा के मैदानों में पाई जाती हैं। इस तरह की चट्टानें झारखण्ड में बहुत सीमित क्षेत्रों में पाएं जाते है जैसे, स्वर्णरेखा नदी क्षेत्र, सोन नदी क्षेत्र , गंगा नदी क्षेत्र।
पुरानी जलोढ़ मिट्टी को ‘बांगर’ के नाम से जाना जाता है। और नई जलोढ़ मिट्टी को ‘खादर ‘ के नाम से जाना जाता है।
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Dear Aspirants, Jharkhand GS की इस series में हमने Jharkhand Geography in Hindi के Basic discuss किया।
Jharkhand geography in hindi series के अगले कड़ी में हम झारखण्ड के धरातलीय स्वरुप को जानेंगे।
यह GS/GK Series आपको Jharkhand में होने वाले सभी Sarkari Naukri Exams में आपकी मद्दद करेगा।