Hello Aspirants, Jharkhand GK Hindi – Tribal Revolt Part 1 में , Jharkhand Samanya Gyan से सम्बंधित एक और महत्वपूर्ण Topic जनजातीय विद्रोह- Tribal Revolt लेकर आये हैं।
Jharkhand History में जनजातीय विद्रोह प्रमुख स्थान रखते हैं। Jharkhand GK Hindi Series के Part-1 में हम Jharkhand के कुछ महत्वपूर्ण जनजातीय विद्रोह जैसे –
ढाल विद्रोह, चुआर विद्रोह, चेरों व भोगता विद्रोह, पहाड़िया विद्रोह, घटवाल विद्रोह, तमाड़ विद्रोह, तिलका आंदोलन, चेरो आंदोलन, हो विद्रोह और कोल विद्रोह के बारे में पढ़ेंगे।
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जनजातिये विद्रोह के प्रमुख कारण
Jharkhand GK Hindi
राजनीतिक कारण -:
1. आदिवासियों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप,
2. अंग्रेज अधिकारीयों द्वारा आदिवासियों का अत्यधिक शोषण,
3. क्षेत्रीय राजवंशों और प्रदेशों पर नियंत्रण,
4. विदेशी कानूनों को आदिवासी क्षेत्र में जबरन लागू करना
आर्थिक कारण -:
2. आदिवासियों और गैर – झारखंडी (दिकू) के बीच अलगाव।
आदिवासियों पर ये सभी अत्याचारों का गहरा प्रभाव पड़ा जिसका नतीजा आदिवासियों के विद्रोह के रूप में सामने आया।
Jharkhand GK Hindi – प्रमुख जनजातीय विद्रोह
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क्षेत्रीय राजवंश |
Jharkhand GK Hindi – ढाल विद्रोह (1768 – 1777)
कारण:
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Jharkhand GK Hindi – चुआर विद्रोह (1769 – 1805)
चुआर लोग के जीवनी का मुख्या स्रोत कृषि व वनों के उत्पाद थे। कुछ चुआर स्थानीय जमींदारों के पास सिपाही “पाइक” का भी काम करते थे।
इन पाइक को बदले में ज़मीन दी जाती थी जिसे “पइकान ज़मीन” कहा जाता था।
अंग्रेजों के इस क्षेत्र पर अधिकार कर लिया और स्थानीय जमींदारों की ज़मीन छीन कर नए ज़मींदारों को बेचना शुरू कर दिया। साथ ही पाइकों के स्थान पर पुलिस व्यवस्था लागू कर दी गयी।
अंग्रेजों ने इस क्षेत्र पर लगान भी बढ़ा दिया। और फिर बाद में 1770 ई. में अकाल पड़ा जिसने मामला और भी भयंकर हो गया। विवश होकर चुअरोँ ने रघुनाथ महतो के नेतृत्व में विद्रोह कर दिया।
चेरों व भोगता विद्रोह (1770 -71)
चेरों विद्रोह का कारण पलामू का राजसिंहासन था। इस विद्रोह में पलामू के शासक चित्रजीत राय और दीवान जयनाथ सिंह ने पलामू के असल दावेदार गोपाल राय का साथ दे रहे अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया।
दीवान जयनाथ सिंह एक भोगता जनजाति का सरदार (मुखिया ) था और पलामू के शासक पर उसी का नियंत्रण था। इस विद्रोह में चेरों और भोगताओं ने मिल कर अंग्रेजों के खिलाफ बगावत किया पर चित्रजीत राय को हार का मुख देखना पड़ा।
गोपाल राय को पलामू का राजा घोषित किया गया और सालाना कर तय कर दिया गया।
Jharkhand GK Hindi – घटवाल विद्रोह (1772 -73)
घटवाल पहाड़ियों पर रहने और कर की वसूली करने वाले रैय्यत लोग थे जो रामगढ नरेश मुकुंद सिंह के वफादार थे।
रामगढ़ की राजगद्दी पर तेज सिंह (मुकुंद सिंह के रिश्तेदार ) ने अपना अधिकार जताया और अंग्रेजों के शरण में जा बैठा। अंग्रेजों ने तेज सिंह का साथ दिया और मुकुंद सिंह को राजगद्दी से अपदस्त कर दिया।
पहाड़िया विद्रोह (1772 – 82)
संथाल परगना के पहाड़िया जनजातीयों के द्वारा विद्रोह के कारण इसका नाम पहाड़िया विद्रोह पड़ा। यह विद्रोह अलग – अलग चरणो चरों में हुआ।
अंग्रेजों के अत्याचारों से त्रस्त पहाड़िया जनजातीयों काफी उग्र हो गए थे और वर्ष 1770 में पड़ा भीषण अकाल ने चिंगारी का काम कर दिया और सनकारा के राजा सुमेर सिंह की हत्या कर दी गयी।
वर्ष 1779 में जगन्नाथ देव और 1782 में रानी सर्वेश्वरी ने विरोध का नेतृत्व किया। रानी सर्वेश्वरी का विरोध “दामिन-ए-कोह” के खिलाफ था।
बाद में रानी को ऑगस्टल क्लीवलैंड ने बंदी बना लिया और वर्ष 1807 में इनकी मृत्यु हो गयी। इस तरह इस विद्रोह का भी अंत हो गया।
Jharkhand GK Hindi – तमाड़ विद्रोह (1782 – 1821)
यह विद्रोह विभिन्न मुंडा सरदारों विष्णु मंकी , मौजी मानकी , भोलानाथ सिंह, विश्वनाथ सिंह के नेतृत्व में 1782 तक चलता है।
तिलका आंदोलन (1784 – 1785)
1784 में संथाल जनजाती राजमहल क्षेत्र में बसना शुरू करते है पर वहां के पहाड़िया जनजाती इनका विरोध करते हैं। पहाड़ो पर रहने के कारण इनको पहाड़िया जनजाति कहा जाता था और ये लोग गुरिल्ला युद्ध में माहिर थे।
अंग्रेजों ने संथालों का समर्थन किया तब तिलका मांझी ने इसका विरोध किया। तिलका मांझी ने अंग्रेजों को लूटना शुरू किया और एक मौका देख कर क्लीवलैंड की तीर मारकर हत्या कर दी।
इसके बाद अंग्रेजों ने आयरकूट को विद्रोह को दबाने और तिलका मांझी को पकड़ने के लिए सेना भेजा गया। वर्ष 1785 में तिलका मांझी को गिरफ्तार किया गया और भागलपुर में बरगद के पेड़ में फ़ासी दे दिया गया।
यह जगह आज “बाबा तिलका मांझी चौक” के नाम से जाना जाता है।
Jharkhand GK Hindi – चेरो आंदोलन (1800 – 1819)
इसके विरोध में भुखन सिंह ने आंदोलन किया। ये भी खुद एक चेरो था और इनका आंदोलन को पूरे राज्य का समर्थन मिला।
इस आंदोलन को दबाने के लिए कर्नल जोंस को भेजा गया और वर्ष 1802 में भुखन सिंह को गिरफ्तार कर फांसी दे दिया गया।
वर्ष 1817 में फिर एक आंदोलन ने जन्म लिया जब कर चुकाने में असमर्थ राजा चूड़ामन राय की गद्दी राजा घनश्याम सिंह को बेच दिया गया।
परिणाम स्वरुप जन-विद्रोह उमड़ पड़ा जिसका नेतृत्व राम बख्श सिंह और शिव प्रसाद सिंह ने किया। अंग्रेजों ने रफसेज के नेतृत्व में इस आंदोलन को कुचल दिया और 1819 में पलामू राज को East India Company के पूर्णतः अधीन ला दिया।
Jharkhand GK Hindi – हो विद्रोह (1820 – 1821)
Jharkhand GK Hindi – कोल विद्रोह (1831 – 1832)
इस विद्रोह का हज़ारीबाग़ पर कोई असर नहीं दिखा था क्यूंकि रामगढ में सैनिक छावनी होने के कारण यहाँ भारी सेना तैनात थी।
विद्रोह को दबाने के लिए अंग्रेजों को काफी मसक्कत करनी पड़ी पर अंत में कैप्टेन विल्किंसन ने इसमें सफलता पाई।
1834 में एक नयी प्रशासनिक इकाई “South-West Frontier Agency” का गठन किया गया जिसमे विद्रोह प्रभावित क्षेत्रों को मिला दिया गया जिसका मुख्यालय विशुनपुर / विल्किंसनगंज, (राँची ), को बनाया गया।
Dear Aspirants, Jharkhand GK Hindi Series में हमने Tribal Revolt – जनजातीय विद्रोह – Part 1 पढ़ा।
Part- 2 में हम एक और महत्वपूर्ण जनजातीय विद्रोह – भूमिज विद्रोह – Bhumij Revolt के बारे में पढ़ेंगे जो JPSC और JSSC CGL के लिए important हैं।